आदर्श श्रीरामलीला समिति खानपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला के खानपुर ग्राम की सबसे बड़ी
समिति है, जो हर वर्ष आश्विन मास में रामलीला का आयोजन करती है। यह आयोजन 15 दिन का होता है। आयोजन का शुभारम्भ मुकुट-पूजा से
होता है। रामलीला में रामचरितमानस के अनुसार भगवान श्रीराम के जीवन की लीला का मंचन होता है। जिसको बहुत से
बच्चे जवान स्त्री, पुरुष और वृद्ध लोग देखने आते हैं और श्रीराम के चारित्रिक जीवन के उत्तम
गुणों को अपने आप में उतारते है। यहाँ दशहरा त्यौहार खूब रौनक और तमाशों से भरा
होता है। इस अवसर पर रेशमी वस्त्र पहनकर लोग मेला देखने जाते है।
इतिहास
महासागर से लेकर सागरमाथा तक सुप्रसिध्द रामलीला का आदि प्रवर्तक कौन है, यह प्रश्न
विवादास्पद है। भावुक भक्तों की दृष्टि में यह अनादि है। एक किंवदंती का संकेत है
कि त्रेता युग में श्रीरामचन्द्रजी के वनगमनोपरांत अयोध्यावासियों ने चौदह वर्ष की
वियोगावधि श्रीराम की बाल लीलाओं का अभिनय कर बिताई थी। तभी से इसकी परंपरा का
प्रचलन हुआ। एक अन्य जनश्रुति से यह प्रमाणित होता है। कि इसके आदि प्रवर्तक मेघा
भगत थे जो काशी के कतुआपुर मुहल्ले में स्थित फुटहे हनुमान के निकट के निवासी माने
जाते हैं, एक बार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी ने इन्हें स्वप्न में दर्शन देकर लीला करने का आदेश दिया ताकि भक्त जनों को
भगवान के चाक्षुष दर्शन हो सकें। इससे सत्प्रेरणा पाकर इन्होंने रामलीला संपन्न
कराई। तत्परिणामस्वरूप ठीक भरत मिलाप के मंगल अवसर पर आराध्य देव ने अपनी झलक देकर
इनकी मनोकामना पूर्ण की। कुछ लोगों के मतानुसार रामलीला की अभिनय परंपरा के
प्रतिष्ठापक गो. तुलसीदास हैं, इन्होंने हिंदी में जन मनोरंजनकारी नाटकों का अभाव पाकर
इसका श्री गणेश किया। इनकी प्रेरणा से अयोध्या और काशी के तुलसी घाट पर प्रथम बार
रामलीला हुई थी।
रामलीला के काव्य स्रोत
भक्तिकाल के सर्वश्रेष्ठ महाकवि श्री मद् गोस्वामी 'तुलसीदास(
१५५४-१६८० विक्रमी संवत)जी' कृत श्रीरामचरितमानस को मूलाधार मानकर यहाँ की रामलीला का मञ्चन किया जाता है| रामलीला को और
अधिक रोचक और सुन्दर बनाने के लिए, नेपाल की श्री ३ सरकार से "कथावाचस्पति" की पदवी
प्राप्त-कीर्तनकलानिधि, काव्यकलाभूषण, श्री हरि-कथा-विशारद, कविरत्न-पंडित राधेश्याम कथावाचक कृत "राधेश्याम रामायण" तथा श्री
ठाकुर बद्री सिंह चौहान कृत "श्रीरामरससुधा रामायण" तथा अन्य महत्वपूर्ण
कृतियां जैसे आधुनिक काल के राष्ट्र-कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त( १८८६-१९६४ ईस्वी)
कृत महाकाव्य साकेत तथा खंडकाव्य पंचवटी और रीतिकाल के महाकवि तथा कठिन-काव्य के
प्रेत कहे जाने वाले आचार्य केशवदास(१६१२-१६७४ विक्रमी संवत) जी कृत सुप्रसिध्द
प्रबंध काव्य रामचन्द्रिका तथा आदिकवि महर्षि वाल्मिकी कृत "रामायण"
इत्यादि ग्रन्थों का प्रयोग किया गया है।
रामलीला-मैदान तथा मेला-मैदान
आदर्श श्रीरामलीला समिति का मेला मैदान, प्राथमिक विद्यालय खानपुर प्रथम से सटा है। जिसमे प्रत्येक
वर्ष आदर्श श्रीरामलीला समिति खानपुर, गाजीपुर क्वार मास के शुक्ल पक्ष के दशमी तिथि को एक भव्य
मेला का आयोजन करती है| अंतिम दिन इसमें
भगवान राम रावण का मर्दन कर युद्ध समाप्त करते हैं और अयोध्या लौटते हैं।
सूची पत्र:-रामलीला खानपुर गाजीपुर, आ.सं.2080 वि.
दिनांक
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दिन
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लीला विवरण
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प्रार्थना एवं भगवन की झाँकी
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1
| 14/10/2023
| शनिवार
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मुकुट-पूजा
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रामायण जी की आरती
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2
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15/10/2023
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रविवार
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नारद-मोह एवं
विश्वमोहिनि स्वयंवर
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3
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16/10/2023
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सोमवार
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राम-जन्म
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संतोषी मां की झाँकी
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3
| 17/10/2023
| मंगलवार
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ताड़का-वध
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शनिदेव जी की झाँकी
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5
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18/10/2023
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बुधवार
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फुलवारी
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सूर्यदेव की झाँकी
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6
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19/10/2023
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बृहस्पतिवार
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धनुष-यज्ञ
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7
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20/10/2023
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शुक्रवार
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राम-वनवास
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8
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21/10/2023
| शनिवार
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सीता-हरण
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9
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22/10/2023
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रविवार
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लंका-दहन
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10
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23/10/2023
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सोमवार
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लक्ष्मण-शक्ति
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चन्द्र देव की
झाँकी
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11
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24/10/2023
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मंगलवार
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भव्य मेला एवं
रावण-वध
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मेले में भगवान का दर्शन
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12
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25/10/2023
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बुधवार
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अयोध्या
पुनरागमन एवं भरत मिलाप
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श्रीराम राज्याभिषेक की झाँकी
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